डायनासोर की तरह हिन्दू धर्म भी विलुप्त की कगार पर ?
आपने हेडिंग पढ़कर कुछ समझ में तो आ ही गया होगा। ऐसा तो सभी जानते हैं लाखों-करोड़ों साल पहले डायनासोर पृथ्वी पर मौजूद थें, लेकिन समय के साथ-साथ वो विलुप्त हो गए। इसके पीछे का कारण लगभग सभी को पता होगा। खैर, यहां मैं किसी डायनासोर की उत्पत्ति और विलुप्त के इतिहास के बारे में जिक्र नहीं करूंगा।
खैर अगर बात करें भारत की जनसंख्या की तो 136 करोड़ है, जिसमें से लगभग 79% हिन्दू हैं। जिसमें से लगभग 68% जनसंख्या गांवों में निवास करती हैं। ऐसा माना जाता है की गांव में अलग-अलग तरह की अनेक मान्यताएं और परम्पराएं होती हैं। एक अनुमान के मुताबिक भारतीय संस्कृति और सभ्यता ही हिफाजत गांवों में अधिक होती है। लेकिन पिछले एक दसक से भारतीय संस्कृति और सभ्यता खतरे में जा रहे है और विदेशी संस्कृति और सभ्यताएं का देश में पैर फैला रहा है।
इन सब में अगर बात करें हिन्दू धर्म की तो यह बहुत ही चिंताजनक है की नहीं पीड़ी अपने धर्म, रीति-रिवाज, परंपरों और संस्कृति से अज्ञान होते जा रहे हैं और यही नहीं परिवार के मुखिया और अभिभावक कभी उन्हें इन चीजों की शिक्षा नहीं दी जा रही है। इसके पीछे सबसे मुख्य कारण यह है की माता-पिता या अभिभावक पूरी तरह से स्कूल और कॉलेज पर निर्भर हो गए हैं, धर्म का ज्ञान उनके बच्चों को स्कूल कॉलेज में ही मिल जाति होगी। लेकिन वे इस बात से अनजान हैं कि शिक्षा का पैटर्न उस जैसा नहीं जैसा उनके समय में था। वो समय और अब के समय में कई दशक का फरक है जिसके फलस्वरूप अनेक परिवर्तन हूएं हैं। एक समय था जब स्कूल में संस्कृत और हिन्दी अनिवार्य विषय के रूप में हुआ करता था। जो अब समय के साथ-साथ अब नहीं है। संस्कृत तो अब पूरी तरह से कहीं-कहीं हटा भी दिया गया है। हिन्दी अगर कहीं अनिवार्य रूप से एक विषय कर रूप में है भी तो उनके पाठ्य सामग्री में से धर्म से संबंधित पाठ नहीं हैं।
इसके अलावा लोगों की मानसिक सोच भी बदल गई है। अब तो बहुत से लोगों का मानना है की अगर कोई धर्म और पूजा-पाठ में उसका आस्था और विश्वास है तो वह गंवार और अंधविश्वासी है। हिन्दू धर्म में एक त्योहार है दशहरा का जिसमें मां दुर्गा की मूर्ति रखी जाती है। लेकिन इस समय की सोच के अनुसार मूर्ति का विसर्जन करने पर रोक लगा दी जाती है। तर्क यह दी जाती है मूर्ति विसर्जन से नदी और तलाब का पानी दूषित हो जाता है। दीपावली के समय पटाखे से वातावरण दूषित होता है और यही नहीं होली के समय पानी बर्बाद किया जाता है। मानो ऐसा लगता है की इन ज्ञानी लोगों की नजर में गाड़ियों और फैक्ट्रीयों से निकलने वाला धुआ ऑक्सिसिजन निकलता है। फैक्ट्रीयों से निकलने वाला पानी पानी को साफ करता है।
यह कैसी सोच है । भगवान ने सबको एक जैसा हाथ, पैर, नाक, आँख, कान और मुंह दिया। लेकिन इसके अलावा एक दिमाग भी दिया, जिसका प्रयोग व्यक्तिगत तौर पर छोड़ दिया। इन परिस्थियों को देखकर ऐसा लगता है की आने वाले समय में अगर कोई कह देगा की उसके पिता वह नहीं बल्कि कोई और है तो आने वाली पीड़ी वही मान लेगी। अंत में बस इतनी सी गुजारिस है की जिसप्रकर एड्स की जानकारी ही बचाव है ठीक उसी तरह से धर्म का ज्ञान ही मानव जाति और धर्म का बचाव है।
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