डॉ शीबा का रिसर्च, इतिहास के किताबों में नंगेली के बारे में बहुत कम खोज की गई है
यह बात 19 वीं सदी की शुरुआत की है जब एक नंगेली नाम की एक महिला ने शासक द्वरा लगाया गया ब्रेस्ट टैक्स के विरोध अपना स्तन काटकर टैक्स के रूप में पेश किया। उसके बाद लोगों ने शासक के खिलाफ विद्रोह शुरू कर दिया और अंत में शासक को हार मनानी पड़ी जिसके फलस्वरूप ब्रेस्ट टैक्स को हटाना पड़ा। यह इतिहासिक कहानी कही और की नहीं बल्कि भारत के केरल राज्य की है। इस आर्टिकल में आपको नीचे दिए गए सभी सवालों का जवाब आपको मिलेंगे, इसलिए इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़ें ;
ब्रेस्ट टैक्स या मूला-करम क्या है और कहां के शासक के द्वारा लगाया गया? ब्रेस्ट टैक्स/मूला-करम एक प्रकार का टैक्स था जो 19 वीं सदी के शुरुआत में केरल के त्रावणकोर के शासक के द्वारा निचली जाति के महिलाओं पर लगाया गया था। ये एक प्रकार की कुप्रथा थी जो लगभग 125 से 150 सालों तक चली। खबर की माने तो नादर (Nadar) और एजहाव (Ezhava) समुदाय(सामान्यतः इस समुदाय में एजवा, शेनार/शनारस और नाडार जैसी जाति शामिल थीं।) की महिलाओं को ऊंची जाति के पुरुष जैसे ब्राह्मण और सरकारी अफसर के सामने अपने स्तन ढकने का अधिकार नहीं था। ![]() सर्वजनीक जगहों पर उन्हें इस नियम का पालन करना पड़ता था। अगर कोई महिला इस नियम का उल्लंघन करती थी तो उसे सजा के रूप में सबके सामने पेड़ से लटका दिया जाता था। इस नियम का पालन करवाने के लिए शासक ने अपने अफसर तैनात किया था। अगर इस समुदाय की कोई महिला अपना स्तन ढकना चाहती थी तो उससे Breast Tax के रूप में मोटी रकम ली जाती थी, जो उनके देने के हिसाब से संभव नहीं था। हैरान कर देने वाली बात यह है की ब्रेस्ट टैक्स उनके ब्रेस्ट के साइज़ के आधार पर लगाया जाता था। यह टैक्स किसी लड़की की योवन अवस्था शुरू होने(Age of Puberty- 14 or 15 से ) के साथ ही शुरू हो जाती थी। ब्रेस्ट टैक्स क्यों लगाया जाता था ?हालांकि भारत में कई शासकों ने राज किया और सबने अपने हिसाब से नियम-कानून बनायें। ये नियम कानून या तो अपने खजाने भरने के लिए था या फिर अपने आपको उच्च दिखाने के लिए था। लेकिन ये Breast Tax का नियम उनमें से बेहद भद्दी कुप्रथा थी जिसका मुख्य उद्देश्य अपना खजाना भरना और अपने आपको ऊंचा दिखाना था। इस नियम के अनुसार अगर कोई महिला कपड़े से अपना स्तन ढकती थी तो उसे या उसके परिवार को ये यह ब्रेस्ट टैक्स देना पड़ता था। Breast Tax का मकसद जातिवाद के ढांचे को बनाये रखना था। निचली जाति के समुदाय की एक तरह की एक पहचान थी जिस महिला के स्तन ढकें नहीं हैं वे निचली जाति के समुदाय से संबंध रखती थी। इसके अलावा ऊंची जाति की औरतों को भी मंदिर में अपने साइन से कपड़ा हटा देना होता था। लेकिन निचली जाति की औरतों के सामने सभी पुरुष ऊंची जाति के ही थे, इसलिए उनके पास स्तन ना ढकने के कोई और विकल्प नहीं था।
नंगेली ने क्यों ब्रेस्ट टैक्स का विरोध क्यों किया ?केरल के श्री शंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय में जेंडर इकॉलॉजी और दलित स्टडीज़ की एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉ. शीबा केएम बताती हैं कि ये वो समय था जब पहनावे के कायदे ऐसे थे कि एक व्यक्ति को देखते ही उसकी जाति की पहचान की जा सकती थी. एड़वा जाति की एक महिला जिसका नाम नंगेली था । नंगेली त्रावणकोर के छेरथला में रहती थी। वह शादीशुदा थी और उनके पति का नाम चिरूकन्दन था। नंगेली ने ब्रेस्ट टैक्स को दिए बिना ही अपने स्तन ढकने का फैसला कर लिया। नंगेली ने क्यों ब्रेस्ट टैक्स का विरोध क्यों किया ?Breast Tax दिए बिना ही अपने स्तन को ढकने की खबर आला अधिकारियों मिली और फलस्वरूप ग्रमाधिकारी(Parvathiyar) नंगेली के घर पहुँचे और नंगेली को स्तन न ढकने को कहा और Breast Tax की मांग की लेकिन नंगेली ने माना कर दिया। बहुत समझने के बाद भी न मनाने पर अफसरों ने नंगेली के स्तन से कपड़ा हटा दिया। नंगेली इस अपमान को सह न सकी और अगले ही कुछ पल में अपने घर के अंदर जाकर हंसिये से अपना स्तन काटकर केले के पत्ते पर रखकर अधिकारियों के सामने पेश करते हुए कहा," तुम्हें यही चाहिए था ना,ये लो " जब नंगेली नाम की महिला ने अपना स्तन काटकर टैक्स के रूप में दिया फिर आगे क्या हुआ ?इसके बाद ज्यादा खून के बहने से नंगेली कुछ पल में मृत्यु हो गई। इसके बाद जब इनके पति चिरूकन्दन ने भी नंगेली की चिता पर कूदकर अपनी जान दे दी। नंगेली जी कुर्बानी और विरोध की ज्वाला धीरे धीरे पूरे क्षेत्र मे फैल गई। जिस स्थान पर नंगेली रहती थी उस जगह का नाम Mulachiparambu(स्तन का स्थान) रखा गया। हालांकि अब इस स्थान पर नंगेली का परिवार नहीं रह और वर्तमान अब इस जगह का नाम "मनोरमा जंक्शन" है। डॉ. शीबा के अनुसार, उन्होंने अपने रिसर्च में वह नंगेली के पड़पोते मणीयन वेलू से मिली। उनके पड़पोते ने कहा की नंगेली ने सिर्फ अपने ही लिए ही नहीं बल्कि सारी औरतों के लिए ये कदम उठाया था जिसका निटीज ये हुआ की राज्य को ये कर वापस लेना पड़ा। अंत में डॉ शिबा कहती हैं, इतिहास के किताबों में नंगेली के बारे में बहुत कम खोज की गई है जिसकी वजह से उनके विरोध के फलश्वरूप कर वापसी होना कहना मुश्किल है। क्योंकी इतिहास हमेशा से पुरुषों की नजर से लिखा गया है। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में औरतों के इतिहास के बारें में और शायद उम्मीद लगाई जा सकती हैं की कभी नंगेली के साहस के बारे में और विस्तार से कुछ पता चल सके। पोस्ट पसंद आया हो तो आप लाइक शेयर और फॉलो कर सकते हैं ताकि आपको लैटस्ट अपडेट्स की नोटिफिकेशन समय-समय पर मिलते रहे। फ़ोटो क्रेडिट- Google |
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